लग जाएगा शुभ कार्यों पर विराम

 


ग्रहों की उग्रता के चलते होलाष्टक में वर्जित रहेंगे शुभ कार्य, होलिका दहन के साथ खत्म होंगे होलाष्टक 3 मार्च से
अम्बाह । भारतीय मुहूर्त विज्ञान व ज्योतिष शास्त्र प्रत्येक कार्य के लिए शुभ मुहूर्तों का शोधन कर उसे करने की अनुमति देता है। कोई भी कार्य यदि शुभ मुहूर्त में किया जाता है तो वह  उत्तम फल प्रदान करने वाला होता है इस वर्ष  होलाष्टक 03 मार्च  प्रारंभ हो रहे है जो 09 मार्च होलिका दहन के साथ ही समाप्त होगे, अर्थात आठ दिनों का होलाष्टक दोष रहेगा जिसमें सभी शुभ कार्य वर्जित रहेंगे नौ मार्च को गोधूलि वेला में होलिका दहन होगा दिवस रंग और गुलाल से होली खेली जाएगी थरा निवासी पंडित रामदत्त मिश्र के अनुसार होलाष्टक में ग्रहों की योग्यता के चलते सभी शुभ कार्य वर्जित रहेंगे मिश्र के अनुसार होलाष्टक के प्रथम दिन अर्थात फाल्गुन शुक्लपक्ष की अष्टमी को चंद्रमा, नवमी को सूर्य, दशमी को शनि, एकादशी को शुक्र, द्वादशी को गुरु, त्रयोदशी को बुध, चतुर्दशी को मंगल तथा पूर्णिमा को राहु का उग्र रूप रहता है। इस वजह से इन आठों दिन में मानव मस्तिष्क तमाम विकारों, शंकाओं और दुविधाओं आदि से घिरा रहता है, जिसकी वजह से शुरू किए गए कार्य के बनने के बजाय बिगडऩे की संभावना ज्यादा रहती है।
विशेष रूप से इस समय विवाह, नए निर्माण व नए कार्यों को आरंभ नहीं करना चाहिए। ऐसा ज्योतिष शास्त्र का कथन है। अर्थात इन दिनों में किए गए कार्यों से कष्ट, अनेक पीड़ाओं की आशंका रहती है तथा विवाह आदि संबंध विच्छेद और कलह का शिकार हो जाते हैं या फिर अकाल मृत्यु का खतरा या बीमारी होने की आशंका बढ़ जाती है। पंडित रामदत्त मिश्र के अनुसार इस बार होलिका दहन की तारीख 9 मार्च है और रंग वाली होली 10 मार्च को खेली जायेगी। होलिका दहन को छोटी होली के नाम से भी जाना जाता है।होली का पर्व दो दिन मनाया जाता है। एक दिन होलिका दहन किया जाता है तो दूसरे दिन रंग वाली होली खेली जाती है। इस बार होलिका दहन की तारीख 9 मार्च है और रंग वाली होली 10 मार्च को खेली जायेगी। होलिका दहन को छोटी होली के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन पवित्र अग्नि जलाकर उसमें सभी तरह की बुराई, अहंकार और नकारात्मकता को जलाया जाता है।
पंडित रामदत्त मिश्र के अनुसार घर में सुख शांति और समृद्धि के लिए छोटी होली पर महिलाएं होली की पूजा करती हैं। जिसकी तैयारियां बहुत पहले से ही शुरू कर दी जाती हैं। होलिका दहन के लिए कुछ दिन पहले से ही कांटेदार लकडिय़ों को इक_ा करने का काम शुरू हो जाता है फिर होली वाले दिन इसे शुभ मुहूर्त में जलाया जाता है। होलिका दहन को बुराई पर अच्छाई की जीत के तौर पर देखा जाता है।
होलिका दहन मुहूर्त -होलिका दहन सोमवार, 9 मार्च को
गोधूलि वेला में होली दहन करना श्रेष्ठ माना गया है। फिर भी निम्नांकित समय में होलिका दहन कर सकते हैं।
होलिका दहन मुहूर्त - 06:26 श्चद्व से 08:52 
अवधि - 02 घण्टे 26 मिनट्स
होलिका दहन प्रदोष के दौरान उदय व्यापिनी पूर्णिमा के साथ
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - मार्च 09, 2020 को 03:03  बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त - मार्च 09, 2020 को 11:17 बजे
रंग वाली होली: 10 मार्च को रंग वाली होली खेली जायेगी। ये हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है। जिसे रंगों के त्योहार के नाम से भी जाना जाता है। खुशियों से भरा ये त्योहार भगवान कृष्ण का काफी प्रिय माना जाता है। इसलिए इस त्योहार की खास रौनक मथुरा वृन्दावन में देखने को मिलती है। बरसाना की ल_मार होली तो दुनिया भर में विख्यात है। कई जगह रंगवाली होली को धुलण्डी के नाम से भी जाना जाता है। पुराने गिले शिकवे मिटाने के लिए ये पर्व खास माना जाता है। इस दिन बच्चे-बड़े सभी मिलकर हंसते-गाते एक दूसरे के साथ होली खेलते हैं। घरों में तरह तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं।


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