मृत्यु भोज और दहेज प्रथा जैसी कुरीतियों पर लगे रोक रजक समाज*


*विशाल रजकभोपाल/भिंड!*- एकता से ही किसी समाज की पहचान होती है और यदि हम सामाजिक रुप से मजबूत होना चाहते है तो हमें आपस में मिलजुलकर कुछ ऐसे काम करने  होंगे जिससे समाज आगे बढ़े। ऐसा कहना है एमपी भिंड के सुनील वर्मा का..

 रजक समाज पहले से ही एक गरीब समाज है और यह दहेज प्रथा और मृत्यु भोज समाज के युवाओं की लिमिट  से बाहर जा रहा है इसे हमारे समाज के भाई बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं और दहेज की वजह से ही हमारे समाज की महिलाएं दूसरे घरों में कपड़े धोने का काम करने जाती हैं और दहेज की वजह से ही हमारे समाज की बेटियां पढ़ लिख नहीं पा रही है डॉक्टर इंजीनियर गवर्नमेंट सर्विस तक नहीं पहुंच पा रही है इसलिए समाज को आगे बढ़ाने के लिए समाज को शिक्षित होना बहुत जरूरी है और शिक्षित तभी होगा जब दहेज प्रथा और मृत्यु भोज बंद होगा, इसलिए सुनील वर्मा का कहना है कि भारत के अंदर एमपी के भिंड मुरैना ग्वालियर की अनोखी परंपरा को खत्म किया जाए और समाज को एक नए जोश के साथ आगे बढ़ाने का काम किया जाए,और समाज इस विषय पर समाज हित में सोच समझ कर  पुनः विचार करें,

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