मुख्यमंत्री मेधावी योजना पर मप्र हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण निर्देश (१२पीआर०८जीडब्ल्यू)

अभिभावक की आय बढ़ने पर भी नहीं रोक सकते छात्रवृत्ति
जबलपुर/ मुख्यमंत्री मेधावी योजना से अपने बच्चों को पढ़ाने के ख्वाब जिन्होंने संजो रखे हैं उन अभिभावकों को मप्र उच्च न्यायालय ने बड़ी राहत प्रदान की है। इस योजना को लेकर हाईकोर्ट ने अभिभावकों को ही नहीं बल्कि छात्रों को भी बड़ी राहत दी है। ग्वालियर हाईकोर्ट की युगल खंडपीठ ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि ऐसे छात्र जिन्होंने इस स्कीम का लाभ लेते हुए विभिन्न संस्थानों में एडमिशन लिया और अगले सत्रों में उनके अभिभावकों की आय ६ लाख रुपए से अधिक हो जाने से शासन ने इनको योजना का लाभ देने से इनकार कर दिया थाए ऐसे छात्रों को सरकार स्कॉलरशिप से वंचित नहीं कर सकती है। पीठ ने आईआईटी जोधपुर के छात्र प्रखर गुप्ता की याचिका पर सरकार को निर्देश दिए कि वह छात्र की पूरी ट्यूशन फीस रीएंबर्समेंट करे। 
इसलिए रोकी थी स्कॉलरशिप..........
कोर्ट ने योजना की जांच में पाया है कि कहीं भी इस बात का उल्लेख नहीं है कि अभिभावकों की आय ६ लाख से अधिक होने पर स्कॉलरशिप रोक दी जाएगी। इसलिए राज्य सरकार नियम व शर्तों के तहत पूरी फीस देने के लिए बाध्य है। इस मामले में सुनवाई कर जस्टिस एसएस धर्माधिकारी और जस्टिस विशाल मिश्रा की युगल पीठ ने ६० दिन में छात्र की फीस का रियंर्वसमेंट करने का आदेश दिया है। प्रखर आईआईटी जोधपुर से बीटेक कोर्स किया है। इस कोर्स में प्रखर मुख्यमंत्री मेधावी योजना के तहत ही एडमिशन लिया था। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने भी माना है कि छात्र इस योजना का आगे भी लाभ लेने के लिए पात्र है, क्äयोंकि उसने इसी स्कीम के तहत एडमिशन लिया था। इसलिए उसे भरोसा था कि उसे स्कॉलरशिप मिलेगी। ऐसे में यदि छात्र को प्रवेश के समय कोई वादा किया है तो यह सरकार का दायित्व है कि वह उसे पूरा करे और उस छात्र को पूरे कोर्स की फीस अदा करे।
तीसरे और चौथे सेमेस्टर में नहीं किया रीएंबर्समेंट..........
तीसरे और चौथे सेमेस्टर की फीस का रीएंबर्समेंट करने पर लगा दी रोक याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि आईआईटी जोधपुर में शैक्षणिक सत्र २०१७-१८ में बीटेक कोर्स के लिए पहले सेमेस्टर के लिए राज्य सरकार ने १,१५,९९७ रुपए स्वीकृत किए। इसी प्रकार दूसरे सेमेस्टर के १ लाख रुपए भी स्वीकृत किए गए। इस समय परिवार की आय ५,३९, ६५१ रुपए थी, लेकिन तीसरे और चौथे सेमेस्टर के लिए फीस का रीएंबर्समेंट नहीं किया गया। इसका कारण छात्र के अभिभावकों की आय ६ लाख से अधिक होना बताया। इसलिए प्रति सेमेस्टर के हिसाब से १,२५,८०० रुपए देने पर रोक लगा दी।
सरकार को बदलना पड़ सकता है आदेश ..........
अब राज्य सरकार को ४ फरवरी का आदेश भी बदलना पड़ सकता है प्रखर गुप्ता के प्रकरण में कोर्ट यह फैसला ४ फरवरी को सुनाया है। इस तारीख में राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री मेधावी योजना को लेकर आदेश जारी कुछ हद तक राहत देते हुए नई शर्त लागू कर दी है। इसके अनुसार ऐसे विद्यार्थियों को जिन्हें योजना में एक बार लाभ प्राप्त होने जाने के बाद शर्तों के अधीन आय सीमा रुपए ६ लाख से ७.५० लाख तक हो गई है, उन्हें फीस का ७५ प्रतिशत लाभ प्राप्त हो सकेगा। आय सीमा ७.५० लाख से अधिक होने पर लाभ की पात्रता नहीं होगी। लेकिन, कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि योजना में इस बात का जिक्र नहीं है कि आय बढ़ने पर स्कीम का लाभ देने से रोका जाएगा। इसलिए राज्य सरकार को ७.५० लाख आय की नई सीमा लागू करने और ७५ प्रतिशत फीस देने वाले आदेश को भी बदलना पड़ सकता है, क्योंकि कोर्ट ने पूरी फीस देने का आदेश दिया है।


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