मुनिश्री विजयेष सागर के 9 वीं मुनिदीक्षा समारोह मे उमड़ जनसैलाब, जयकारो से गूंज सभागर


 उलझे संसार में जीवन को चलाने के लिए सच्चे गुरु का सान्निध्य जरूरी है-मुनिश्री



        ग्वालियर- जीवन के बजाय जन्म के नाश की भावना ही सबसे बड़ी ज्योति है। जन्म नाश की भावना का नाश होने के बाद ही जीवन में सर्वोत्तम आनंद की प्राप्ति होती है। जीवन में गुरु का सान्निध्य मिलना सौभाग्य की बात है। जीवन में ज्योति या अथाह प्रकाश की प्राप्ति गुरु सान्निध्य से ही संभव है। ऐसे में जीवन में ज्योति को प्राप्त करना ही ध्येय होना चाहिए। यह विचार राश्ट्रसंत मुनिश्री विहर्श सागर महाराज ने गुरूवार को नई सड़क स्थित चंपाबाग धर्मषाला में जैन मिलन ग्वालियर की ओर से मुनि विजयेष सागर की 9 वी मुनिदीक्षा पर धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।


     मुनिश्री ने कहाकि सांसारिक मोह-माया से उलझे संसार में जीवन को चलाने के लिए सच्चे गुरु का सान्निध्य जरूरी है। सच्चे गुरु का मिलना ही दीक्षा है। गुरु व साधु में अंतर होता है। आगे व पीछे दोनों तरफ से प्रकाश बिखरने वाले ही गुरु होते है। जब भी कोई कर्मो से मुक्त होगा त बवह मनुश्य पर्याय से ही होगा। चैरासी लाख योनियों चतुर्गतियो में सर्वश्रेश्ठ कोई पर्याय है तो वह मनुश्य पर्याय है। मुनिश्री के चरणो मे डाॅ वीरेंद्र गंगवाल, संयोजक रतन अजमेरा, जैन मिलन के अध्यक्ष संजीव अजमेरा, सचिव योगेष बोहरा, बालचंद जैन, विनय कासलीवाल, महेष गुरू, मनोज सेठी, एवं दिल्ली, आगरा, मेराठ, मथुरा, भिंड, झाॅसी, आदि जगहों से आये गुरूभक्तो का उमड़ जन सैलाब श्रीफल चढकर आषिर्वाद लिया। कार्यक्रम का संचालन अध्यक्ष संजीव अजमेरा एवं विनय कासलीवाल ने किया। आभार सचिव योगेष बोहरा ने किया। 


अन्तरूमन की अनुभूति का नाम है गुरु मुनिश्री
           मुनिश्री विजयेष सागर महाराज ने कहाकि हमारी श्रद्धा जितनी गहन होगी, गुरु की अनुभूति भी हमारे अंतरंग में उतनी ही गहन होती जाएगी। हमारी आत्मा यदि हमारे पास है तो गुरु दूर रहकर भी हर पल हमारे पास है। यदि गुरु को अपने पास बुलाना है तो अपनी आत्मा के अंदर श्रद्धा का दीप जलाना होगा। हमारी श्रद्धा जितनी कमजोर होगी, गुरु का चेहरा भी उतना ही हमारी आंखों से ओझल होता जाएगाी।

मुनिदीक्षा का षुभारंभ चित्र एवं दीप प्रज्वालित कर हुआ, 


      मुनिश्री विजयेष सागर के 9 वीं मुनिदीक्षा का षुभारंम भगवान पाष्र्वनाथ धरमचंद्र कमलचंद्र वरैया एवं आचार्यश्री विराग सागर महाराज के चित्र बालचंद जैन एवं दीप प्रज्वालित अजय जैन डाॅ वीरेंद्र गंगवा, विजय जैन ने किया। स्वागत मंगलचरण अक्षयनिधी महिला मंडल एवं स्वागत नृत्य नीलम जैन ने किया। स्वागत उदबोधन समाज के डाॅ वीरेंद्र गंगवाल ने किया। मुख्य अतिथि पूर्व मंत्री नारायण सिंह कुषवाह ने आषीवाद लिया।


मुनिश्री के पाद प्रक्षालन, महाअघ्र्य चढाकर कमण्डल भेंट कर उतारी आरती


    जैन समाज के प्रवक्ता सचिन आदर्ष कलम ने बताया कि विजयेष सागर महाराज के मुनिदीक्षा पर मुनि विहर्श सागर के पादप्रक्षालन नवीन जैन पकज जैन परिवार भिंड एवं विजयेष सागर के पाद प्रक्षालन पदमग्वालियरी परिवार ने किए। षास्त्र भेंट राजकुमार मिठ्ठू सेठी ंिकए। जैन समाज के लोगो ने हाथों में सज्जी हुई अश्टद्रव्य की पूजन से महाअर्घ संगीतकार षुभम जैन सैमी कव भजनो पर नृत्य करते हुये बहचारिणी दीदी प्रंयाक और नीतु दीदी ने मंत्रउच्चरण कर मुनिश्री के चरणों मे समर्पित ंिकए। महाआरती सामूहिक रूप से की। पूरे पाडाल में मुनिश्री विहर्श सागर एवं विजयेष सागर महाराज के जयकारों के साथ गूॅज उठा।  पंचकल्याणक समिति ने मुनिश्री विजयेष सागर को कमण्डल भेंट ंिकया।


मुनिश्री के प्रवचन 8ः30 पर आयोजित


   जैन समाज के प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया कि मुनिश्री विहर्श सागर महाराज संसघ के प्रवचन प्रतिदिन दानाओली चंपाबाग जैन मंदिर में प्रात 8ः30 से होगे।


                                                                   सचिन जैन आदर्ष कलम
                                            (प्रवक्ता जैन समाज ग्वा.)
                                          मो..9575360544.7974836323

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