कुछ व्यवसायी जातियों के रेल्वे स्टेशन के समीप बसने से हुई थी । ये व्यवसायी दुकानदारी के उद्देश्य से रेल्वे स्टेशन के समीप बस गये। मुरैना नगर के व्यवसायी केन्द्र के रूप में विकसित होने तथा ग्रामीण अंचलों में डाकूओं के आंतक के कारण इस क्षेत्र की व्यवसायी जातियां,ग्रामीणों से पलायन कर मुरैना नगर में आकर बसती गई । ब्राह्मण, क्षत्रिय तथा अन्य पिछडी और कार्यशील जातीया कृषि पर निर्भर होने केकारण, ग्रामों में ही वनी रही । सन् 1950 तक मुरैना नगर में इन व्यवसायी जातियों का ही बाहुल्य था । अतः सामाजिक जीवन अपेक्षाकृतशांत और स्थिर था । अनुसूचित जातियों में राजनीतिक चैतना की जागृति तथा ग्रामीण अंचलों में इन जातियों के प्रति दमनात्मक एवं उपेक्षापूर्ण व्यवहार केकारण ये जातियां भी सन् 1950 में परिवर्तितकाल में, ग्रामों से पलायन कर मुरैना नगर में आकर बसने लगी थी । मुरैना नगर में इनजातियों को समानता एवं सम्मान का जीवन मिला, किन्तु जीवन निर्वाह के लिए अपना परम्परागत व्यवसाय ही अपनाना पडा । मुरैना नगर के प्रशासनिक राजनीतिक तथा आर्थिक केन्द्र के रूप में विकसित होने, समुचित शैक्षणिक सुविधाओं की उपलब्धता तथा ग्रामों मेंडाकूओं एवं पुलिस केयम के कारण, अन्य जातियां (ब्राह्मण,क्षत्रिय, पिछडी जातियां) भी मुरैना नगर की और पलायन करने लगी । सातवे दशकमें तो इन जातियों की मुरैना नगर में बाढ सी आ गई । अपराधी प्रवृति की जातियों का मुरैना नगर में आगमन इसी सप्तम दशक में प्रारंभहुआ था । आज स्थिति यह है कि इन अपराधी प्रवृति की जातियों ने मुरैना नगर के शांत जीवन में उथल- पुथल मचा दी है ।
मुरैना नगर में विभिन्न जातियों के बस जाने के कारण यहां के सामाजिक जीवन में परिवर्तन आया है । प्रत्येक जाति ने एक दूसरे कीसामाजिक व्यवस्था को प्रभावित किया है । जातीय तत्व तिरोहित होता जा रहा है । |
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