परिस्थितियां उलट हों तो धर्म का मार्ग नहीं छोडऩा चाहिए: मुनिश्री


ग्वालियर। संस्कार को स्वभाव में उतारें, उच्च विचार की बात करने से काम नहीं चलेगा। हमारे अंदर मानवता होगी तभी हम दूसरों का भला कर सकेंगे। भौतिक सुख-सुविधाएं ढूंढने से ईश्वर नहीं मिलेगा। ईश्वर हमारे हर पल की समीक्षा करता है और उसी के अनुसार फल देता है। जब परिस्थितियां उलट हों तो हमें धर्म का मार्ग नहीं छोडऩा चाहिए। हमें संस्कारों से जुड़े रहना चाहिए। यह बात जैन राष्ट्रसंत मुनिश्री विहर्श सागर महाराज ने दाना ओली स्थित चंपाबाग जैन मंदिर में जैन मिलन ग्वालियर के मंगल प्रवेश के दौरान धर्मसभा में व्यक्त किए।   मुनिश्री ने कहा कि मन के जीते जीत है और मन के हारे हार। मन को कैसे नियंत्रण में रखना इसका जुनून चाहिए। व्यक्ति मंदिर में जाए और वहां मन एकाग्र हो जाए तो तुम्हारा निर्वाण हो जाएगा। 


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