पॉलीथिन हटाओं मुहिम हुई गुम, नगर निगम की पाबंदी बेअसर


ग्वालियर। आधुनिक युग में सुविधाओं के विस्तार ने सबसे अधिक पर्यावरण को ही चोट पहुंचाई। पॉलीथिन आज मानव जाति के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द बन गई है। नष्ट न होने के कारण यह भूमि की उर्वरक क्षमता को खत्म कर रही है। यह भूजल स्तर को घटा रही है और उसे जहरीला बना रही है। पॉलीथिन का प्रयोग सांस और त्वचा संबंधी रोगों तथा कैंसर का खतरा बढ़ाता है। इतना ही नहीं, यह गर्भस्थ शिशु के विकास को भी रोक सकता है। पॉलीथिन को जलाने से निकलने वाला धुआं ओजोन परत को भी नुकसान पहुंचा रहा है, जो ग्लोबल वार्मिग का बड़ा कारण है। ग्वालियर में तत्कालीन निगमायुक्त ने ग्वालियर को पॉलीथिन मुक्त शहर बनाने के लिए एक मुहिम छेड़ी थी, जो अब पूरी ठंडी पड़ चुकी है। उनकी पॉलीथिन हटाओं मुहिम भी कही गुम हो गई है। पॉलिथीन के बेजा इस्तेमाल से जहां पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है। वही आम लोगो के रोजमर्रा के जीवन को भी पॉलीथिन प्रभावित करती है। नाले, नालियो, पॉलीथिन की वजह से ब्लॉक होती है। जिस समय पॉलीथिन  पर पाबंदी लगाई गई थी, तब इसका असर दिखने लगा था, लेकिन जब से तत्कालीन निगमायुक्त का तबादला हुआ है, तब से इस मुहिम पर किसी भी अधिकारी का ध्यान नहीं गया है। शहर के हर बाजार, हर ठेले पर इन दिनों पॉलीथिन दिखाई देने लगी है। फिर से बाजारों में पॉलीथिन का बेजा इस्तेमाल हो रहा है। जो पर्यावरण के लिए खतरनाक है। आलम यह है कि पिछले काफी समय से पॉलीथिन का उपयोग करने वाले व पॉलीथिन की बिक्री करने वाले दुकानदारों के विरुद्व नगर निगम की ओर से कोई कार्यवाई नही की गई है। निगम की इस ढिलाई का दुकानदार भरपूर लाभ उठा रहे है। यही कारण है कि बाजरों से नदारद हुई पॉलीथिन फिर से दुकानों की शोभा बढ़ा रही है। निगम प्रशासन को जल्द से जल्द शहर में पॉलीथिन प्रयोग पर लगी पाबंदी पर सख्त संज्ञान लेते हुए पॉलीथिन का इस्तेमाल और बिक्री करने वाले लोगो के विरुद्व सख्त कारवाई करनी चाहिए।

यहां पर बिक रही है पॉलीथिन
राममंदिर
दौलतगंज
नजरबाग मार्केट
मोर बाजार
मुरार
हजीरा 



सीवर जाम का सबसे बड़ा कारण
पॉलीथिन सीवर जाम का सबसे बड़ा कारण है। यह नालियों से होता हुआ सीवर में जाकर जमा हो जाता है, जिससे गंदे पानी का बहाव बाधित होता है।


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