नई दिल्ली । संसद में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट का सरकारी नौकरियों की नियुक्ति में आरक्षण और प्रमोशन में आरक्षण को लेकर दिए फैसले पर जमकर हंगामा हुआ। केन्द्र सरकार ने साफ कर दिया है कि उसका इस आदेश से कोई लेना-देना नहीं है। वहीं विपक्ष का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट में याचिका उत्तराखंड सरकार ने दाखिल की थी। इस पर केन्द्र सरकार ने कहा है कि 2012 में उत्तराखंड में कांग्रेस की सरकार थी और उस सरकार ने यह याचिका दायर की थी। इस मामले पर लोकसभा में जब थावर चंद्र गहलोत सरकार का पक्ष रख रहे थे उस समय कांग्रेस के सभी सांसदों ने सदन का बहिष्कार करते हुए बाहर चले गए। मंत्री गहलोत ने कहा कि सरकार इस मामले पर उच्चस्तरीय चर्चा करेगी। साथ ही उन्होंने कहा कि इस मामले में केंद्र सरकार पार्टी नहीं है। लोकसभा में राजनाथ सिंह ने कहा कि सामाजिक न्याय मंत्री इस मामले में बयान देने वाले है और उनके बयान का इंतजार करना चाहिए। चिराग पासवान ने कहा कि आरक्षण किसी को मिली हुई खैरात नहीं है, यह संवैधानिक अधिकार है। उन्होंने कहा कि कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि यह मौलिक अधिकार नहीं है। हम सुप्रीम कोर्ट के आदेश को खारिज करते हैं। पासवान ने कहा कि आरक्षण से जुड़े सभी कानूनों को नौवीं सूची में डाला जाए ताकि बार-बार कोई इस मामले में कोर्ट में ना जाए। संसदीय कार्यमत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि यह कोर्ट का फैसला है इससे सरकार का कोई लेना देना नहीं है। उन्होंने कहा कि 2012 की उत्तराखंड सरकार ने यह याचिका दाखिल की थी।
- कांग्रेस ने क्या कहा
वहीं कांग्रेस सांसद अधीर रंजन ने कहा कि राष्ट्रवाद की जगह अब सरकार मनुवाद की बात कर रही है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में उत्तराखंड सरकार के किसके वकील गए और किसका पक्ष रखा। कांग्रेस ने लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव नोटिस देते हुए कहा कि 'सरकारी सेवाओं में एससी और एसटी आरक्षण को कम नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि यह हमारे देश के पिछड़े समुदायों के लिए विनाशकारी होगा। बता दें कि रविवार को दिल्ली में इस मसले पर कोर्ट के फैसले पर असहमति जताते हुए पासवान ने सरकार से तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की है। पासवान ने मांग की है कि सरकार कोर्ट के फैसले को पलटकर आरक्षण की व्यवस्था पहले की तरह ही बरकरार रखे। चिराग पासवान मामले को लोकसभा में उठा सकते हैं। चिराग इसे शून्यकाल के दौरान सदन में उठाएंगे। मामले की राजनीतिक अहमियत को देखते हुए चिराग को विपक्ष समेत कई दलों का समर्थन मिल सकता है। लोजपा के संस्थापक और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने सोमवार रात को ही संसद के दोनों सदनों के एससी, एसटी सांसदों को एक मिलन समारोह के लिए बुलाया है। इनमें सभी दलों के सांसद शामिल होंगे। माना जा रहा है कि इस बैठक में सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले पर भी चचार् होगी। गौरतलब है कि 2018 में एससी, एसटी कानून में बदलाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बड़ा बवाल हुआ था। 2018 के मार्च महीने में इस मुद्दे पर बुलाए गए भारत बंद के दौरान हिंसा में कुछ लोग मारे भी गए थे। बाद में सरकार ने कानून बनाकर कोर्ट के फैसले को पलट दिया था। माना जाता है कि मोदी सरकार के कदम से उस साल के अंत में हुए मध्य प्रदेश और राजस्थान विधानसभा चुनावों में भाजपा को लोगों की नाराजगी झेलनी पड़ी और इसका सियासी नुकसान भी पार्टी को अपनी सरकार गंवाकर उठाना पड़ा था।
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