भोपाल । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस के हमले से निपटने के लिये 21 दिन के लॉकडाउन की जो घोषणा की उससे आम जनता में तो घबराहट फैल ही गई, वहीं छोटे-बड़े कारोबारियों से लेकर तमाम बड़े-बड़े उद्योगपतियों में भी चिंता है, क्योंकि देश पहले से ही आर्थिक संकट से जूझ रहा है और लगातार नोटबंदी के बाद से आर्थिक मंदी बाजार में कायम हैं और अब उससे थोड़ा उबरने का मौका आया था कि कोरोना का संकट आ गया, जो कि नोटबंदी से भी कई गुना ज्यादा नुकसान पहुंचायेगा, क्योंकि इस देश बंदी से भारत की आर्थिक कमर बुरी तरह से टूट जाएगी और इसकी क्षतिपूर्ति में कई महीनों और साल लग जाएंगे। आम आदमी से लेकर गरीबों के फिर से फजीते हैं।
जिस तरह नोटबंदी के असर साल भर के बाद दिखने लगे और नौकरियां तेजी से खत्म हुई, वहीं किसानों से लेकर हर तरह का कारोबार प्रभावित हुआ और हर उद्योग को मंदी का सामना करना पड़ रहा है। यहां तक की जीडीपी की दर भी नीचे गिर गई। अब कोरोना के हमले के चलते देश एक ओर बड़े संकट का सामना करने जा रहा है और आधी रात से जो 21 दिन का लॉकडाउन घोषित किया गया, वह भारत जैसे आर्थिक रूप से कम संपन्न देश की कमर ही तोड़कर रख देगा, क्योंकि यह लॉकडाउन आगे भी लंबा हो सकता हैं। रोज कमाकर खाने वालों के तो फजीते रहेंगे, वही हर तरह का कारोबार इसमें प्रभावित हो और यह देशबंदी नोटबंदी से भी कई गुना अधिक आर्थिक रूप से घातक सिद्ध होगी, क्योंकि समाज का हर तबका काम पर जाने की बजाये अपने अपने घरों में कैद होकर रह गया हैं।
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