घर-घर में घटस्थापना के साथ हुआ नवरात्रि का शुभारंभ


उगते सूर्य को अघ्र्य देकर किया नवसंवत्सर का स्वागत
सृष्टि की उत्पत्ति का दिवस है नवसंवत्सर- कैलाश मंथन
कोरोना के खिलाफ जंग लडऩे घर में रहकर करें देवी मां की उपासना- कैलाश मंथन
गुना। अंचल में चैत्रीय नवरात्र का शुभारंभ बुधवार को नवसंवत्सर महोत्सव घर-घर में भगवान भास्कर को अघ्र्य देकर एवं सूर्य नमस्कार के साथ हुआ। यह पहला मौका था जब देवीभक्त शक्तिपीठों एवं मंदिरों तक नहीं पहुंच पाए। इस दौरान श्रद्धालुओं ने घरों में शक्ति की उपासना की। हिन्दू उत्सव समिति के प्रमुख कैलाश मंथन ने भी लोगों से अपील की कि घरों पर रह कर ही देवी आराधना करें। देश के कोरोना के संकट का टालने के लिए प्रार्थना करें। इस दौरान बुधवार को सुबह शुभ मुर्हुत में कलश स्थापना हुई। हिउस के तहत कलश स्थापना के साथ परिवार व देश को बचाने के लिए जप, पाठ आदि किए गए। चैत्रीय नवरात्र के साथ प्रमादी नाम का नव संवत्सर 2077 शुरू हो गया। हिउस प्रमुख कैलाश मंथन ने बताया कि नवसंवत्सर के दिन गुडी पड़वा ही सृष्टि की उत्पत्ति का दिवस माना जाता है। इस दिन भगवान भास्कर की आराधना का विशेष महत्व है।
पूर्णत: वैज्ञानिक गणना पर आधारित है विक्रम संवत- कैलाश मंथन
विक्रम संवत पूर्णत: वैज्ञानिक गणना पर आधारित है।  भारतीय काल पंचाग समय की सूक्ष्मतम प्रमाणिक इकाई की गणना का प्रतीक है। विराट हिन्दू उत्सव समिति के संस्थापक कैलाश मंथन ने नव संवत्सर पर कहा कि भारतीय काल गणना से ही विश्व के सभी राष्ट्रों के कैलेण्डर एवं समय की इकाई निर्धारित होती है। विश्व के सभी कैलेण्डर परिवर्तनशील हैं, लेकिन भारतीय विक्रम संवत की काल गणना में आज तक एक भी पल का अंतर नहीं आया है। सूर्योंदय से अस्त तक प्राकृतिक बदलाव, सूर्य-चंद्रग्रहण, नक्षत्रों की गतियों का विलक्षण समय निर्धारण इस पंचाग से होता है। अंतर्राष्ट्रीय पुष्टिमार्गीय परिषद के प्रांतीय प्रचार प्रमुख कैलाश मंथन ने बताया महाराजा विक्रमादित्य ने 2077 वर्ष पहले अवंतिका नगरी उज्जैन में प्रजा का ऋण माफ करते हुए अपना महान ज्योतिषियों से वैज्ञानिक काल निर्धारण करवाया। लाखों वर्ष पूर्व सृष्टि के निर्माण के बाद समय का फेरबदल होता रहा। त्रेता में राम संवत, द्वापर युग में युधिष्ठर संवत, कृष्ण संवत के बाद कलियुग में विक्रम संवत ही सर्वाधिक प्रमाणिक  माना गया है।
कोरोना वायरस के चलते सार्वजनिक कार्यक्रम स्थगित
विश्व में कोरोना वायरस के खतरे के चलते सभी सार्वजनिक कार्यक्रम स्थगित करते हुए प्रत्येक सनातनी परिवार में नवसंवत्सर का स्वागत सूर्योपासना से किया। श्री मंथन के मुताबिक यह वैज्ञानिक तथ्य है कि सूर्य नमस्कार करने एवं सूर्याघ्र्य देने से विभिन्न संक्रामक रोग समाप्त होते हैं। ऐसे में कोरोना का वायरस सूर्य ऊर्जा से समाप्त किया जा सकता है। हिउस प्रमुख श्री मंथन ने 2 अप्रैल को भगवान राम के जन्मोत्सव पर अपने-अपने घरों में राम नवमीं एवं महाआरती मनाने का अनुरोध किया है। इस दौरान हिउस के तहत अंचलभर में श्रद्धालुओं ने घरों में ही प्रात: कालीन बेला में सूर्याघ्र्य देकर नवसंवत्सर महोत्सव का स्वागत किया। इस दौरान घरों में सुंदरकांड, कीर्तन, सत्संग आदि के कार्यक्रम हुए। 


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