भोपाल । सरकार के आदेश का इंतजार किए वगैर ही सहकारी बैंको ने प्रदेश में ४२ लाख किसानों को १० हजार करोड़ का फसल ऋण शून्य फभ्सदी ब्याज दर पर कर्ज बांट दिया। किसानों को दिए गए इस कर्ज की वसूली इस माह के अंत तक की जानी है , लेकिन सरकार से कोई आदेश न मिलने की वजह से अब बैंक प्रबंधन के सामने असमंजस की स्थिति बन गई है। दरअसल अब ब्याज की दर को लेकर कोई फैसला नहीं हों पा रहा है। हालांकि सहकारिता विभाग इसकी फाइल वित्त विभाग को नवंबर में भेज चुका है , लेकिन वित्त से अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ। खरीफ और रबी सीजन में दिए गए कर्ज पर ब्याज ७५० करोड़ रुपए बनता है। बैंक बाजार दर पर वसूली नहीं कर सकती। क्योंकि, बैंकों ने फसल ऋण शून्य प्रतिशत पर दिया है। अब वित्त विभाग की सहमति के बाद ही आदेश जारी होगा। सरकार किसानों का ब्याज भरने के लिए तैयार होगी तब अपेक्स बैंक नाबार्ड से लिए कर्ज को अदा कर पाएगा। इसके बाद नाबार्ड अगले साल के लिए अपेक्स बैंक को पैसा देगा।
गेहूं खरीदी के दौरान की जाती है वसूली
किसानों को फसल ऋण देने के बाद उनसे समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी के दौरान इसकी वसूली की जाती है। शून्य प्रतिशत ब्याज का लाभ उन्हीं किसानों को मिलता है, जो पूरा लोन चुका देते हैं। जो किसान लोन नहीं चुकाते वे अगली बार लोन के पात्र नहीं रह जाते हैं। उन्हें डिफॉल्टर घोषित कर दिया जाता है। प्रदेश में किसानों से खरीफ फसल ऋण वसूली २८ मार्च तक की जाती है, जबकि रबी फसल के ऋण की वसूली १५ जून तक होती है।
सरकार को करना होगा 7५० करोड़ का भुगतान
खरीफ और रबी सीजन के लिए किसानों को फसल ऋण के अनुदान की राशि करीब साढ़े सात सौ करोड़ होती है। सरकार के खाली खजाने में इस राशि की प्रतिपूर्ति करना बैंकों के लिए मुश्किल होगा। इस राशि की व्यवस्था सरकार को जून से पहले करना है। इसके बाद ही सरकार खाद-बीज बांट सकेगी। हालांकि, सहकारिता विभाग के अधिकारियों का कहना है कि शून्य प्रतिशत ब्याज का सरकार के बजट में प्रावधान है। इससे आदेश जारी करने की आवश्यकता नहीं होती है। यह राशि सरकार कभी भी बैंकों को इसकी प्रतिपूर्ति कर सकती है।
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